षट्तिला एकादशी 2025: जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, व्रत विधि, महत्व और कथा

षट्तिला एकादशी हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र व्रत माना जाता है। यह व्रत विशेष रूप से पापों के नाश और मोक्ष प्राप्ति के लिए किया जाता है। माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षट्तिला एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं इस व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त, कथा, पूजा विधि और महत्व।

By: Divyanshu Singh|25 Dec 2024

Shattila Ekadashi

षट्तिला एकादशी 2025: व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, षट्तिला एकादशी की तिथि और शुभ समय इस प्रकार रहेगा:

  • ➤ एकादशी तिथि प्रारंभ: 24 जनवरी 2025, रात 07:25 बजे
  • ➤ एकादशी तिथि समाप्त: 25 जनवरी 2025, रात 08:31 बजे
  • ➤ व्रत रखने का दिन: 25 जनवरी 2025 (शनिवार)
  • ➤ पारण का समय: 26 जनवरी 2025, सुबह 07:12 बजे से 09:21 बजे तक
  • ➤ द्वादशी समाप्ति समय: 26 जनवरी 2025, रात 08:54 बजे

षट्तिला एकादशी का महत्व

षट्तिला एकादशी का व्रत मोक्ष प्राप्ति और पापों के नाश के लिए किया जाता है। इस दिन तिल का उपयोग, दान और तिल मिश्रित स्नान का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के समस्त पाप समाप्त हो जाते हैं और उसे वैकुंठ की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथा के अनुसार, जो व्यक्ति इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा करता है और तिल का दान करता है, उसे अगले जन्म में उत्तम स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। यह व्रत जीवन में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ है।

षट्तिला एकादशी व्रत विधि

षट्तिला एकादशी का व्रत श्रद्धा और संपूर्ण विधि-विधान के साथ किया जाता है। व्रत विधि निम्नलिखित है:

दशमी के दिन की तैयारी

  • दशमी (एकादशी से एक दिन पहले) के दिन सात्विक भोजन करें।
  • पवित्रता का ध्यान रखते हुए मानसिक और शारीरिक रूप से व्रत के लिए तैयार रहें।

एकादशी के दिन (25 जनवरी 2025)

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल को गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें।
  • भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर के समक्ष दीपक जलाएं।
  • तिल का उपयोग पूजा सामग्री में करें और भगवान विष्णु को अर्पित करें।
  • दिनभर अन्न का त्याग करें और फलाहार कर सकते हैं।
  • विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें।

द्वादशी के दिन (26 जनवरी 2025)

  • सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
  • भगवान विष्णु की पूजा करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
  • पारण का समय देखकर व्रत खोलें।

षट्तिला एकादशी व्रत कथा

प्राचीनकाल में मृत्युलोक में एक ब्राह्मणी रहती थी। वह सदैव व्रत किया करती थी। एक समय वह एक मास तक व्रत करती रही। इससे उसका शरीर अत्यंत दुर्बल हो गया। यद्यपि वह अत्यंत बुद्धिमान थी तथापि उसने कभी देवताअओं या ब्राह्मणों के निमित्त अन्न या धन का दान नहीं किया था। इससे मैंने सोचा कि ब्राह्मणी ने व्रत आदि से अपना शरीर शुद्ध कर लिया है, अब इसे विष्णुलोक तो मिल ही जाएगा परंतु इसने कभी अन्न का दान नहीं किया, इससे इसकी तृप्ति होना कठिन है। भगवान ने आगे कहा- ऐसा सोचकर मैं भिखारी के वेश में मृत्युलोक में उस ब्राह्मणी के पास गया और उससे भिक्षा माँगी। वह ब्राह्मणी बोली- महाराज किसलिए आए हो? मैंने कहा- मुझे भिक्षा चाहिए। इस पर उसने एक मिट्टी का ढेला मेरे भिक्षापात्र में डाल दिया। मैं उसे लेकर स्वर्ग में लौट आया। कुछ समय बाद ब्राह्मणी भी शरीर त्याग कर स्वर्ग में आ गई। उस ब्राह्मणी को मिट्टी का दान करने से स्वर्ग में सुंदर महल मिला, परंतु उसने अपने घर को अन्नादि सब सामग्रियों से शून्य पाया। घबराकर वह मेरे पास आई और कहने लगी कि भगवन् मैंने अनेक व्रत आदि से आपकी पूजा की परंतु फिर भी मेरा घर अन्नादि सब वस्तुओं से शून्य है। इसका क्या कारण है? इस पर मैंने कहा- पहले तुम अपने घर जाओ। देवस्त्रियाँ आएँगी तुम्हें देखने के लिए। पहले उनसे षटतिला एकादशी का पुण्य और विधि सुन लो, तब द्वार खोलना। मेरे ऐसे वचन सुनकर वह अपने घर गई। जब देवस्त्रियाँ आईं और द्वार खोलने को कहा तो ब्राह्मणी बोली- आप मुझे देखने आई हैं तो षटतिला एकादशी का माहात्म्य मुझसे कहो। उनमें से एक देवस्त्री कहने लगी कि मैं कहती हूँ। जब ब्राह्मणी ने षटतिला एकादशी का माहात्म्य सुना तब द्वार खोल दिया। देवांगनाओं ने उसको देखा कि न तो वह गांधर्वी है और न आसुरी है वरन पहले जैसी मानुषी है। उस ब्राह्मणी ने उनके कथनानुसार षटतिला एकादशी का व्रत किया। इसके प्रभाव से वह सुंदर और रूपवती हो गई तथा उसका घर अन्नादि समस्त सामग्रियों से युक्त हो गया। अत: मनुष्यों को मूर्खता त्यागकर षटतिला एकादशी का व्रत और लोभ न करके तिलादि का दान करना चाहिए। इससे दुर्भाग्य, दरिद्रता तथा अनेक प्रकार के कष्ट दूर होकर मोक्ष की प्राप्ति होती है।

षट्तिला एकादशी पर मंत्र

षट्तिला एकादशी पर निम्न मंत्रों का जाप करें:

  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
  • ॐ विष्णवे नमः

निष्कर्ष

षट्तिला एकादशी व्रत एक अद्भुत व्रत है, जो मोक्ष और पाप नाश के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन तिल का उपयोग और दान विशेष लाभकारी है। भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने और जीवन में सकारात्मकता लाने के लिए यह व्रत अवश्य करें।